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Sandese Aate Hai (From "Border")

Roop Kumar Rathod, Sonu Nigam2016年7月1日

Sandese Aate Hai (From "Border") 歌詞

Sandese Aate Hai Ke Ghar Kab Aaoge (From "Border") - Sonu Nigam (索魯·尼格姆)/Roop Kumar Rathod

Written by:Anu Malik/Javed Akhtar

संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर सूना सूना है

संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर सूना सूना है

 

किसी दिलवाली ने किसी मतवाली ने

हमें खत लिखा है ये हमसे पूछा है

 

किसी की साँसों ने किसी की धड़कन ने

किसी की चूड़ी ने किसी के कंगन ने

 

किसी के कजरे ने किसी के गजरे ने

महकती सुबहों ने मचलती शामों ने

अकेली रातों में अधूरी बातों ने

तरसती बाहों ने और पूछा है तरसी निगाहों ने

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये दिल सूना सूना है

संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

 

के तुम बिन ये घर सूना सूना है

 

मोहब्बतवालों ने हमारे यारों ने

हमें ये लिखा है कि हमसे पूछा है

 

हमारे गाँवों ने आम की छांवों ने

पुराने पीपल ने बरसते बादल ने

 

खेत खलियानों ने हरे मैदानों ने

बसंती बेलों ने झूमती बेलों ने

लचकते झूलों ने दहकते फूलों ने

चटकती कलियों ने और पूछा है गाँव की गलियों ने

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन गाँव सूना सूना है

संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर सूना सूना है

 

कभी एक ममता की प्यार की गंगा की

जो चिट्ठी आती है साथ वो लाती है

 

मेरे दिन बचपन के खेल वो आंगन के

वो साया आंचल का वो टीका काजल का

 

वो लोरी रातों में वो नरमी हाथों में

वो चाहत आँखों में वो चिंता बातों में

बिगड़ना ऊपर से मोहब्बत अंदर से करे वो देवी माँ

यही हर खत में पूछे मेरी माँ

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन आँगन सूना सूना है

संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर सूना सूना है

 

ऐ गुजरने वाली हवा बता

मेरा इतना काम करेगी क्या

मेरे गाँव जा मेरे दोस्तों को सलाम दे

 

मेरे गाँव में है जो वो गली

 

जहाँ रहती है मेरी दिलरुबा

उसे मेरे प्यार का जाम दे

 

उसे मेरे प्यार का जाम दे

 

वहीँ थोड़ी दूर है घर मेरा

 

मेरे घर में है मेरी बूढ़ी माँ

मेरी माँ के पैरों को छू के तू उसे उसके बेटे का नाम दे

 

ऐ गुजरने वाली हवा ज़रा

मेरे दोस्तों मेरी दिलरुबा मेरी माँ को मेरा पयाम दे

उन्हें जा के तू ये पयाम दे

 

मैं वापस आऊंगा

मैं वापस आऊंगा घर अपने गाँव में

उसी की छांव में कि माँ के आँचल से

गाँव की पीपल से किसी के काजल से

किया जो वादा था वो निभाऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

मैं एक दिन आऊंगा

 

मैं एक दिन आऊंगा