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Mhari Jaatni

T. R. Panipat, Ruchika Jangir2017年1月20日

Mhari Jaatni 歌詞

 

Mhari Jaatni - T. R. Panipat/Ruchika Jangir

Written by:Ruchika Jangir/T. R. Panipat/VR Bros

वा मटक मटक के चालेगी थोड़ी शर्मावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

 

वा मटक मटक के चालेगी थोड़ी शर्मावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

 

निकलेगी वा बनके रानी होजागा इस गात को पानी

थारे वरगे फेर कहगे माल का सूता से मरजाणी

 

रे पूरा रोप दिखाके वा जब पानी लेवन जावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

वा मटक मटक के चालेगी थोड़ी शर्मावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

 

जब वा गाल में चलेगी हलवे हलवे हलेगी

शाम ने आके अपने आप ने करेगी मेरे हवाले

 

रे सबके उपर होगी ना ते उसके वर्ग की पावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

वा मटक मटक के चालेगी थोड़ी शर्मावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

 

सचिन खत्री दुवे आला छोरा एंडी जाट का

जाट के खातिर पी रखा से पानी सतर घाट का

 

देव खत्री का गीता पे वा नाच दिखावेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी

 

वा मटक मटक के चालेगी थोड़ी शर्मावेगी

 

या दुनिया खड़ी लख़ावेगी जब म्हारी जाटनी आवेगी