Sandese Aate Hai Ke Ghar Kab Aaoge (From "Border") 歌詞
Sandese Aate Hai Ke Ghar Kab Aaoge - Sonu Nigam (蘇努·尼甘)/Roop Kumar Rathod (魯普·庫馬爾·拉德)
Written by:Anu Malik/Javed Akhtar
संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
किसी दिलवाली ने किसी मतवाली ने
हमें खत लिखा है ये हमसे पूछा है
किसी की साँसों ने किसी की धड़कन ने
किसी की चूड़ी ने किसी के कंगन ने
किसी के कजरे ने किसी के गजरे ने
महकती सुबहों ने मचलती शामों ने
अकेली रातों में अधूरी बातों ने
तरसती बाहों ने और पूछा है तरसी निगाहों ने
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये दिल सूना सूना है
संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
मोहब्बतवालों ने हमारे यारों ने
हमें ये लिखा है कि हमसे पूछा है
हमारे गाँवों ने आम की छांवों ने
पुराने पीपल ने बरसते बादल ने
खेत खलियानों ने हरे मैदानों ने
बसंती बेलों ने झूमती बेलों ने
लचकते झूलों ने दहकते फूलों ने
चटकती कलियों ने और पूछा है गाँव की गलियों ने
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन गाँव सूना सूना है
संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
कभी एक ममता की प्यार की गंगा की
जो चिट्ठी आती है साथ वो लाती है
मेरे दिन बचपन के खेल वो आंगन के
वो साया आंचल का वो टीका काजल का
वो लोरी रातों में वो नरमी हाथों में
वो चाहत आँखों में वो चिंता बातों में
बिगड़ना ऊपर से मोहब्बत अंदर से करे वो देवी माँ
यही हर खत में पूछे मेरी माँ
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन आँगन सूना सूना है
संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे लिखो कब आओगे लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
ऐ गुजरने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गाँव जा मेरे दोस्तों को सलाम दे
मेरे गाँव में है जो वो गली
जहाँ रहती है मेरी दिलरुबा
उसे मेरे प्यार का जाम दे
उसे मेरे प्यार का जाम दे
वहीँ थोड़ी दूर है घर मेरा
मेरे घर में है मेरी बूढ़ी माँ
मेरी माँ के पैरों को छू के तू उसे उसके बेटे का नाम दे
ऐ गुजरने वाली हवा ज़रा
मेरे दोस्तों मेरी दिलरुबा मेरी माँ को मेरा पयाम दे
उन्हें जा के तू ये पयाम दे
मैं वापस आऊंगा
मैं वापस आऊंगा घर अपने गाँव में
उसी की छांव में कि माँ के आँचल से
गाँव की पीपल से किसी के काजल से
किया जो वादा था वो निभाऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा